Sunday, May 6, 2012

ज्यादा देर तक आसमान को देखूंगा तो गिर जाऊँगा

माँ से बिछड़ गया तो कहाँ जाऊँगा 
ज्यादा देर तक आसमान को देखूंगा तो गिर जाऊँगा 

मैं इसी उम्मीद पर जिंदा हूँ
एक दिन इसी मिट्टी में मिल जाऊँगा 

चाहे पहुँच जाऊं मैं आसमान की बुलंदियों तक 
जिस दिन माँ को भूलूंगा मर जाऊँगा 

और

उसके परिवार वाले भी मेरे अपने है
उनके मरने की दुआ पढूंगा तो काँप जाऊँगा 

मगर यह भी सच है
उनका सगा बना तो मैं अपनी माँ का गुनाहगार हो जाऊँगा।

- रोमिल

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