Wednesday, May 16, 2012

दोस्त वोह होता है...

दोस्त...

दोस्त वोह होता है... जैसे छुट्टी वाली सुबह... आधी खिड़की से आती हुई सुबह की पहली किरण... नीम के पेड़ पर कोयल का मीठा बोलना...

दोस्त वोह होता है... जो तीन चाय की चार कटिंग चाय करवा कर पिलवाता है...
"तीन की चार करना"    

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