Sunday, October 30, 2011

यादें

यादें

सब लोगों ने मुझे नाज़, गुन की यादों को भुला देने को कहा था जबकि मैं उसे दुनिया के साथ बाँटना चाहता था. मुझे नहीं पता दुनिया को यह क्यों लगता है कि यादें हमेशा दुःख देती है, जबकि मेरा अनुभव यह कहता है कि यादें हमेशा सुख-शांति देती है. घर में कभी इनकी आवाज़ सुनाई दे जाती है, जब मैं बिल्कुल अकेला होता हूँ, कभी ट्रेन में तो कभी बस में उनका एहसास होता है. जब कभी भी मैं अकेले में उनकी आवाज़ सुनता था या उनको याद करता था तो ऐसा लगता था कि वोह वही पर है, मेरे आस पास...

सच कहती थी नाज़ "सुल्तान, तू बहुत जोक मरता है न, सबका मज़ाक बनाता है, एक न एक दिन मैं तुमको बहुत रुलाकर रहूँगी. 

सच कहती थी वोह.

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