Friday, November 4, 2011

आंसूओं के सैलाब का रास्ता खोल दो.

आंसूओं के सैलाब का रास्ता खोल दो. खुद को भावनाओं में तरबतर कर दो. इससे तुम्हे नुकसान नहीं होगा. यह तुम्हारी केवल मदद करेगा. अगर तुम भय को अपने भीतर जाने दोगे, इसे एक चिरपरिचित शर्ट की तरह पहनोगे, तो तुम खुद से कह सकते हो, "ठीक है, यह केवल भय है, मुझे इसे अपने पर हावी नहीं होने देना है. मैं इसे ऐसे ही देखूंगा जैसा वह है. 

अकेलेपन में भी ऐसा ही करो : चलते चलो, आंसूओं को रोको मत बहने दो, इसे पूरी तरह से महसूस करो - लेकिन अंतत: यह कहने लायक भी बने रहो, "ठीक है, यह मेरा अकेलेपन का एक पल था. मैं अकेलापन महसूस करने से भयभीत नहीं हूँ, लेकिन अब मैं उस अकेलेपन को एक तरफ रखने जा रहा हूँ और जानता हूँ कि दुनिया में दूसरी भावनाएँ भी हैं और मैं उनका भी अनुभव लेने जा रहा हूँ. 

हर मंगल मारी के संग

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