Sunday, November 13, 2011

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

अगस्त २००६ से ०६ साल हो गए और मैं अब भी उसी जगह पर हूँ. उसने ०६ साल पहले ही मेरा साथ दिया होता तो मेरी ज़िन्दगी के वोह महत्वपूर्ण ०६ साल खुशियों के साथ बीतते. कुछ लोग कहते है तुम सब भूल क्यों नहीं जाते? क्यों इतना क्रोधित हो उठते हो? अगर वोह उन ०६ सालों की कीमत समझ सकते, तो मुझसे यह सवाल नहीं करते. दर्द का एहसास उसे ही पता होता है, जिसे ज़ख्म मिला हो. वैसे भी मन में लगे ज़ख्मों के दाग जाते नहीं है. एक-दो ही लोग है जो मेरी आँखों में उतरकर दिल तक पहुँच जाते है और देख पाते है कि जो लड़का हर पल मुस्कुराता रहता है, मजाक किया करता है, उसका मन कितना दुःख से भरा हुआ है. मैंने ज़िन्दगी का वोह घिनौना चेहरा देखा है, जो मैं नहीं चाहता कि कोई भी बच्चा, इंसान कभी देखे. मुझे ज़िन्दगी से कोई प्यार नहीं है, सिर्फ अपने कर्तव्यों के लिए ज़ी रहा हूँ. 

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