Thursday, March 15, 2012

कई बार हमारी रोशनी बुझ जाती है

कई बार हमारी रोशनी बुझ जाती है, लेकिन यह किसी दूसरे इंसान की लौ से दोबारा जल जाती है. हम सबको उन लोगों का शुक्रगुज़ार होना चाहिए, जो इस रोशनी को दोबारा जलाते हैं.

- अल्बर्ट श्वेटज़र

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