Tuesday, November 23, 2010

खुद से रुबारु

खुद से रूबरू  
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मैं कभी वस्तु पर आश्रित नहीं रहा...
लोग कहते थे... जिनको गाडी चलाने की आदत हो जाये... वोह फिर बिना गाडी के नहीं चल सकते हैं...
पर मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ... मैं गाडी बेच कर अब बस से चलता हूँ... पर मुझको कोइए दिक्कत नहीं होती... बस वक़्त ज्यादा लगता हैं... वोह वक़्त में किताबे पढ़ कर पूरा कर लेता हूँ..
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बहुत से लोग कहते थे... बिना मोबाइल के रहा ही नहीं जा सकता हैं...
पर मेरे साथ ऐसा नहीं हैं... मैंने अपना मोबाइल तोड़ दिया था और एक साल से ज्यादा हो चूका हैं मैंने मोबाइल नहीं रखा हैं...
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ऐसी बहुत सी बातें हैं... जिससे मैं यह कह सकता हूँ मैं वस्तु पर आश्रित नहीं रहा...

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