Thursday, November 25, 2010

शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया

चाँद... ज़िन्दगी के ६० साल पता ही नहीं चले कब बीत गए... तुम्हारे साथ... शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया
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शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया
हैं तेरा
तूने जो साथ मेरा दिया...
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया
हैं तेरा
*
ज़िन्दगी का था बड़ा लम्बा सफ़र
रुके थके से लगते थे कदम
तूने जो हाथ मेरा थाम लिया
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया
हैं तेरा
*
खवाब थे सब मेरे जुदा जुदा
आँखों से नींदे थी धुआ धुआ
तूने सपने मेरे बुन दिए, खवाब मेरे पूरे कर दिए

शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया
हैं तेरा

*
कैसे कहू कितना प्यार हैं तुमसे...
हर सुबह, हर शाम हैं तुमसे
तूने बेरंग ज़िन्दगी में रंग भर दिया
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया
हैं तेरा

*
गुज़ारा न होगा अब एक सांस का तुम बिन
रह न पायूँगा सनम तुम बिन
तूने जीवन अपना मेरे नाम कर दिया
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया
हैं तेरा

तूने जो साथ मेरा दिया...
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया
हैं तेरा
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