Thursday, February 2, 2012

मेरे दाता के दरबार में, सब लोगों का खाता. जो कोई जैसी करनी करना, वैसा ही फल पाता.

मेरे दाता के दरबार में, सब लोगों का खाता
जो कोई जैसी करनी करना, वैसा ही फल पाता.
मेरे दाता के दरबार में, सब लोगों का खाता - ४
क्या साधू, क्या संत, गृहस्थी, क्या राजा, क्या रानी - २
प्रभु की पुस्तक में लिखी है, सबकी करम कहानी.
अंतर्यामी अन्दर बैठा सबका हिसाब लगता.

मेरे दाता के दरबार में, सब लोगों का खाता
जो कोई जैसी करनी करना, वैसा ही फल पाता.

बड़े - बड़े कानून का प्रभु के, बड़ी - बड़ी मर्यादा - २
किसी को कौड़ी कम नहीं मिलती, मिले न पाए ज्यादा.
इसलिये यह दुनिया का, जगतपति कहलाता.

मेरे दाता के दरबार में, सब लोगों का खाता
जो कोई जैसी करनी करना, वैसा ही फल पाता.

चले न उसके आगे रिशिवत, चले नहीं चालाकी - २
उसकी लेन-देन की बन्दे, रीति बड़ी है बाँकी.
समझदार तो चुप है रहता, मुरख शोर मचाता.

मेरे दाता के दरबार में, सब लोगों का खाता
जो कोई जैसी करनी करना, वैसा ही फल पाता.
उजले करनी कर ले बन्दे, करम न करियो काला - २
लाख आँख से देख रहा है, तुझे देखने वाला.
उसकी तेज नज़र से बन्दे, कोई नहीं बच पाता.
मेरे दाता के दरबार में, सब लोगों का खाता
जो कोई जैसी करनी करना, वैसा ही फल पाता.
***
हे परम पिता सबका परिवार सुखी रहे ऐसा वरदान देना
सबके दुःख दूर करना,
सबकी बुद्धि का विकास करना
माँ का हर पल, हमेशा ख्याल रखना
मेरी गुनाह को क्षमा करना.

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