Tuesday, March 20, 2012

सुल्तान v/s सुल्तान

सुल्तान v/s सुल्तान 

सुल्तान - भैया, मेरे दुखद जीवन का अंत करें? इच्छा मृत्युं?

सुल्तान - तू भी बेवकूफ वाले सवालों के पीछे पड़ा रहता है. चल एक कहानी सुनाता हूँ. एक बेटा, स्कूल से लौटकर अपनी माँ के पास आता है और अचानक कहने लगता है "माँ मैं मरना चाहता हूँ".

माँ उसे समझाती है और कहती है "मेरे चाँद ऐसे मरने की बातें नहीं करते, तू तो मेरी ज़िन्दगी है".

मगर बेटा फिर कहता है "माँ मैं मरना चाहता हूँ, मुझे नहीं जीना".

माँ फिर उसे प्यार करते हुए जीवन की अनमोल धरोवर के बारे में समझाती है.

मगर बेटा उसकी बातों को महत्व नहीं देता और फिर माँ से कहता है "मुझे मरना है बस मरना है".

माँ उसे और ज्यादा प्यार करती है और उससे कई खूबसूरत और मन लुभावने वादे भी करती है.

परन्तु बेटा कुछ भी समझाने को तैयार नहीं था. और वोह बार-बार माँ से कहता "मैं मरना चाहता हूँ".

जब शाम तक बेटा अपनी जिद पर अड़ा रहा तो माँ ने आखिर गुस्से में बोल ही दिया "जा मरो"

जैसे ही माँ के मुख से यह शब्द निकले "जा मरो", बेटा सीधे अपने कमरे में जाकर खुद को पंखे से लटका लेता है. जब माँ शाम को दूध का गिलास लेकर बेटे के कमरे में जाती है तो उसे पंखे से लटका देखकर भौचक्की होकर ज़मीन पर गिर गई.

जन्नत में जब बेटा, रब के सन्मुख जाता है तो बेटा कहता है "मैं दोषी नहीं हूँ, मैंने तो माँ की आज्ञा से मृत्युं प्राप्त की है"

उसकी यह बात सुनकर रब जोर से हँसता रहता है.
***

यह तो रही कहानी की बात... अब इसमें छुपी बातें बताते है.

१. हमारे भारत में युगों - युगों से इच्छा मृत्युं चली आ रही है. कभी लोग जलसमाधि लेते थे तो कभी धरती में समां जाते थे. उस समय पूजा - पाठ, यज्ञ करके अनुमति ली जाती थी. बहुत से उदाहरण है.

२. हम मृत्युं क्यों चाहते है? इसका सीधा सा जवाब हैं हम जीवन नहीं चाहते है. क्यूंकि बहुत से उदाहरण है जिन्होंने मृत्युं को जीता है. जो हॉस्पिटल के बिस्तर से उठ खड़े हुए है. बस उनको एक स्लोगन देना चाहिए जैसे "उठो-दौड़ों", "पार्क की गुलाबों की खुशबू लो", "सारा ऑफिस तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है", "खेल का मैदान तुम्हारे बिना सुना सा है".

३. और सबसे महत्वपूर्ण इच्छा मृत्युं की वजह चाहे मानसिक दुःख-दर्द हो या फिर शारीरिक पीड़ा. उसे एक मकसद या खवाइश जरुर दे. 

हो सकता है वोह मकसद या खवाइश को पूरा करने की चाह में ज़िन्दगी से प्यार करने लगे, कुछ और दिन ज़िन्दगी जिए या फिर मकसद पूरा कर ख़ुशी - ख़ुशी उस रब के घर जाये, जैसे कोई सैनिक युद्ध में वीरगति को प्राप्त करता है. 

मन से सुन्दर रहो कक्के. नो टेंशन विद आउट पेंसन. 

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