Tuesday, April 29, 2014

Miya... dhokhe pe dhokhe kha raha hoon

Miya... dhokhe pe dhokhe kha raha hoon
gumaan hai ki waafa nibha raha hoon
aur woh kuch bolta nahi bas chhup hi rehta hai
aur ek main hoon jo paagalon sa izhaar pe izhaar.... ishq pe ishq farma raha hoon...

#Romil

मियां... धोखे पे धोखे खा रहा हूँ
गुमां है कि वफ़ा निभा रहा हूँ
और वोह कुछ बोलता नहीं बस चुप ही रहता है
और एक मैं हूँ जो पागलों सा इज़हार पे इज़हार... इश्क़ पे इश्क़ फरमा रहा हूँ... 

#रोमिल

Monday, April 28, 2014

ibadat-e-safar mein intezaar ke diye na bhujhane paye

ibadat-e-safar mein intezaar ke diye na bhujhane paye
manzil abhi door hai...
bas sanam ka naam japoo... aur chalte jaye....

#Romil

इबादत -ए-सफ़र में इंतज़ार के दीये ना भुझने पाएँ 
मंज़िल अभी दूर है
बस सनम का नाम जपो... और चलते जाएं...

#रोमिल

36,78,081 visitors. Thanks

36,78,081 visitors. Thank you all for visiting, reading the posts and giving your valuable comments.

Thank you once again.

#Romil

Sunday, April 27, 2014

shayad subah ke peeche intezaar karti raat na ho.

Is dil ko khod kar dekho, kahin ismein dabe pade uske khawab na ho
shayad subah ke peeche intezaar karti raat na ho.

#Romil

इस दिल को खोदकर देखो, कहीं इसमें दबे पड़े उसके ख़्वाब ना हो...
शायद सुबह के पीछे इंतेज़ार करती रात ना हो...

#रोमिल

Saagar kinare dil yeh pukare... tu jo nahi to mera koi nahi hai...








Friday, April 25, 2014

चलो लुफ्त गर्मियों का उठाते हैं

चलो लुफ्त गर्मियों का उठाते हैं
नुक्कड़ की किसी दुकान पर गन्ने का रस पीने जाते है
फिर किसी बाग़ में झूला झूलते हुए आम चूसते है... 
चलो लुफ्त गर्मियों का उठाते हैं...

बाग़ के पास जो बहती हुई नदी है
चलो उसमें छई छप्पा छई खेलते है
फिर वहीँ किनारे पर मिट्टी का चूल्हा बनाकर चाय बनाते है
पीते है
चलो लुफ्त गर्मियों का उठाते हैं...

रात में हल्की-हल्की चलती हुई हवा में कहीं बाहर हम दोनों आइसक्रीम खाने जाते हैं...
बस पैदल दूर तक हाथ पकड़े चलते जाते हैं...
चलो लुफ्त गर्मियों का उठाते हैं...

#रोमिल

अच्छा लगता है !!!

अच्छा लगता है !!!

१. जब हम अपने जीवनसाथी का हाथ पकड़कर मन्दिर की सीढ़ियाँ चढ़ते है. वोह हज़ारों सीढ़ियाँ भी हमको कम महसूस होती है।

२. जब हम साठ की उम्र में भी अपने जीवनसाथी की हाथों की मेहंदी में अपना नाम पढ़ते है. उस समय जीवन में फ़िर से प्रेम की गति का संचार होता है।

३. जब हम किसी बुजुर्ग को अपने कन्धों का सहारा देकर रास्ता पार करवाते हुए मंज़िल तक पहुँचाते  है।

४. जब हम अपनी आमदनी का कुछ हिस्सा दान के रुप में दे देते है। किसी अंजान की ख़ुशी के लिये खर्च कर देते है।  
५. जब बचपन में अपना स्कूल का जूता पॉलिश करते हुए हम अपनी सफ़ेद शर्ट गन्दी कर लेते है।

६. जब पहली बार रोटी बनाते हुए हम आटे की लोई से खेला करते है। तरह-तरह के नक्शा बनाया करते है, डिज़ाइन बनाया करते है।   

७. जब रात बार जीवनसाथी के साथ प्रेम की बातें करते हुए,  सोफ़ा पर ही एक-दूसरे के कंधों का सहारा लेकर सो जाते है।

८. जब दोनों नौकरी करने वाले जीवनसाथी - तीन दिन तुम घर की देखभाल करोगी और तीन दिन मैँ घर की देखभाल करुँगी और एक दिन मिलकर करेंगे। ऐसे आचरण का पालन करते है।    

करके देखो अच्छा लगता है।