हम कभी माता पिता का ऋण चूका सकते नहीं
इतने तोह एहसान इनके गिना सकते नहीं
इनकी सेवा से मिले धन, ज्ञान, बल, लम्बी उम्र
स्वर्ग से बढकर हैं जग में आसरा माँ बाप का
कष्ट हो तन पे हमारे, हो उठे बेचैन यह
इससे बढकर देवता भी, सुख दिला सकते नहीं
पर लो वेद और शास्त्र का ही, एक यह भी मर्म हैं
योग्यतम संतान का यह, सबसे उत्तम कर्म हैं
हम कभी माता पिता का ऋण चूका सकते नहीं
हे परमदेव परमात्मा! आपकी कृपा सब पर बनी रहे.
सबको सुख-शांति प्राप्त हो.
सबको जीवन में बल, बुद्धि, विवेक, साहस, रोगरहित स्वस्थ प्राप्त हो.
माँ का हर पल हमेशा ख्याल रखना
मेरे पापों को क्षमा करना
सबपर अपनी कृपा करना.
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