यूं भी कुछ पल होंगे अपने...
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एक काफी
और सर्दी की रात
कम्बल में हो हम दोनों साथ
और बजे प्यार की गिटार
ओह मेरे यार...
ओह्ह्ह मेरे यार...
ओह्ह्ह मेरे यार...
*
एक छत्री
और बारिश हो लाजवाब
हाथो में पकडे दोनों हाथ
साथ में बादल मारे जोर से किक
और बजे प्यार की गिटार
ओह मेरे यार...
ओह्ह्ह मेरे यार...
ओह्ह्ह मेरे यार...
*
एक आइस क्रीम
और चांदनी रात
बेंच पर बैठे हो हम दोनों पूरी रात
और बजे प्यार की गिटार
ओह मेरे यार...
ओह्ह्ह मेरे यार...
ओह्ह्ह मेरे यार...
*
एक साइकिल
और सुहानी शाम
पहाड़ों पर चलते रहे हम बस यूं ही यार
और बजे प्यार की गिटार
ओह मेरे यार...
ओह्ह्ह मेरे यार...
ओह्ह्ह मेरे यार...
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Tuesday, November 30, 2010
ओह्ह्ह मेरे यार...
जबसे नज़रे चार तुमसे हो गई
जबसे नज़रे चार तुमसे हो गई
ज़िन्दगी अपनी शब्-ए- बहार हो गई
मुझसे न पूछो हाल-ए-दिल सनम
आपकी जान थी
आप पर कुर्बान हो गई...
जबसे नज़रे चार तुमसे हो गई
ज़िन्दगी अपनी शब्-ए- बहार हो गई....
*
वैसे तोह हम थे महफ़िल-ए-चिराग
आपके क़दम जो पड़े
महफ़िल थी मेरी
आपके नाम हो गई...
जबसे नज़रे चार तुमसे हो गई
ज़िन्दगी अपनी शब्-ए- बहार हो गई....
*
मुझसे न करो त्योंहार की बातें यारों
ज़िक्र जब होता है उनका
अपनी तो ईद
अपनी दिवाली हो गई...
जबसे नज़रे चार तुमसे हो गई
ज़िन्दगी अपनी शब्-ए- बहार हो गई....
*
दरिया माझी भी देख कर खुश हुआ
उसके पहलु में अपनी शामे हो गई..
जबसे नज़रे चार तुमसे हो गई
ज़िन्दगी अपनी शब्-ए- बहार हो गई....
*
ज़ुल्म तकदीर का हम पर यूं हुआ
मुस्कुराते मुस्कुराते वोह बेवफा हो गई...
जबसे नज़रे चार तुमसे हो गई
ज़िन्दगी अपनी शब्-ए- बहार हो गई....
*
रुक्सत-ए-सनम हमसे यूं हुई
शहर के हर एक मकान में जाकर पूछते है
जो मेरी थी वोह किस की हो गई...
जबसे नज़रे चार तुमसे हो गई
ज़िन्दगी अपनी गुमनाम हो गई....
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ज़िन्दगी अपनी शब्-ए- बहार हो गई
मुझसे न पूछो हाल-ए-दिल सनम
आपकी जान थी
आप पर कुर्बान हो गई...
जबसे नज़रे चार तुमसे हो गई
ज़िन्दगी अपनी शब्-ए- बहार हो गई....
*
वैसे तोह हम थे महफ़िल-ए-चिराग
आपके क़दम जो पड़े
महफ़िल थी मेरी
आपके नाम हो गई...
जबसे नज़रे चार तुमसे हो गई
ज़िन्दगी अपनी शब्-ए- बहार हो गई....
*
मुझसे न करो त्योंहार की बातें यारों
ज़िक्र जब होता है उनका
अपनी तो ईद
अपनी दिवाली हो गई...
जबसे नज़रे चार तुमसे हो गई
ज़िन्दगी अपनी शब्-ए- बहार हो गई....
*
दरिया माझी भी देख कर खुश हुआ
उसके पहलु में अपनी शामे हो गई..
जबसे नज़रे चार तुमसे हो गई
ज़िन्दगी अपनी शब्-ए- बहार हो गई....
*
ज़ुल्म तकदीर का हम पर यूं हुआ
मुस्कुराते मुस्कुराते वोह बेवफा हो गई...
जबसे नज़रे चार तुमसे हो गई
ज़िन्दगी अपनी शब्-ए- बहार हो गई....
*
रुक्सत-ए-सनम हमसे यूं हुई
शहर के हर एक मकान में जाकर पूछते है
जो मेरी थी वोह किस की हो गई...
जबसे नज़रे चार तुमसे हो गई
ज़िन्दगी अपनी गुमनाम हो गई....
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Tera Kuchh Na Lagega Mol Piyariya.....
Satnam Sri Waheguru Jee ...
Sri Waheguru
Sri Waheguru bol piyariya,
tera kuchh na lagega mol piyariya.....
Sri Waheguru Jee japeeye sada sukhi rahiye,
Sri Waheguru Jee boliye kadhi bhi na doliye....
Sri Waheguru Jee, Sri Waheguru Jee, Sri Waheguru Jee
Satnam, Satnam, Satnam Jee....
bolo Sri Waheguru Jee ......
Tera meetha naam ..
tera meetha nam mujhko do jahan se piyara hai ......
tere nam ka aadhara hai ...
tera meetha naam ......Satnam Sri Waheguru Jee ....
***
Sri Waheguru Jee
Sabka khayal rakho... NaaZ ko har sukh dena...
***
SATNAM SRI WAHEGURU JEE
Sri Waheguru
Sri Waheguru bol piyariya,
tera kuchh na lagega mol piyariya.....
Sri Waheguru Jee japeeye sada sukhi rahiye,
Sri Waheguru Jee boliye kadhi bhi na doliye....
Sri Waheguru Jee, Sri Waheguru Jee, Sri Waheguru Jee
Satnam, Satnam, Satnam Jee....
bolo Sri Waheguru Jee ......
Tera meetha naam ..
tera meetha nam mujhko do jahan se piyara hai ......
tere nam ka aadhara hai ...
tera meetha naam ......Satnam Sri Waheguru Jee ....
***
Sri Waheguru Jee
Sabka khayal rakho... NaaZ ko har sukh dena...
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SATNAM SRI WAHEGURU JEE
Saturday, November 27, 2010
काफी की याद न आई हो...
७५ साल ज़िन्दगी के.... तुम्हारे साथ छु मंतर हो गए...
----------
इतने साल हो गए
अपने सर के बाल भी कम हो गए
मगर ऐसी कोइए शाम नहीं ढली
जब तुम्हारे हाथ से बनी
काफी की याद न आई हो...
-----------
मेरे आने का पता तुम्हे न जाने कैसे चल जाता था
जैसे ही बैग रखू
"काफी रेडी है हुजुर ए आला"
तुम्हारा यह खूबसूरत शब्द मेरे कानो तक पहुच जाता था...
------------
न्यूज़ पेपर, मैगजीन तुम मुझे पढ़ने नहीं देती थी
बस मेरी ही दिन भर की बातें तुम मुझसे पूछा करती थी...
सच कहू तोह...
तुम्हारे हाथो के बने पकोड़ों,
इमली की चटनी के साथ
लाजवाब होते थे...
पता नहीं तुम कैसे ५ मिनट में बना लाती थी...
------------
वोह शाम भुलाये न भुलाये जाती है
ज़िन्दगी के ७५ साल में भी याद आती है
तेरे हाथों से बनी काफी की याद आती है...
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इतने साल हो गए
अपने सर के बाल भी कम हो गए
मगर ऐसी कोइए शाम नहीं ढली
जब तुम्हारे हाथ से बनी
काफी की याद न आई हो...
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मेरे आने का पता तुम्हे न जाने कैसे चल जाता था
जैसे ही बैग रखू
"काफी रेडी है हुजुर ए आला"
तुम्हारा यह खूबसूरत शब्द मेरे कानो तक पहुच जाता था...
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न्यूज़ पेपर, मैगजीन तुम मुझे पढ़ने नहीं देती थी
बस मेरी ही दिन भर की बातें तुम मुझसे पूछा करती थी...
सच कहू तोह...
तुम्हारे हाथो के बने पकोड़ों,
इमली की चटनी के साथ
लाजवाब होते थे...
पता नहीं तुम कैसे ५ मिनट में बना लाती थी...
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वोह शाम भुलाये न भुलाये जाती है
ज़िन्दगी के ७५ साल में भी याद आती है
तेरे हाथों से बनी काफी की याद आती है...
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SAB KICH KITA TERA HOVEY NAA HI KUCH ASSARA JIO....
TU MERA PITA TU HAI MERA MATA,
TU MERA BANDHAP, TU MERA BHRATA,
TU MERA RAKHA SABNI THAYEEN...
TU MERI OTE TU HAI MERA MANA,
SAB TERA KHEL AKHARA JIO..
SAB KICH KITA TERA HOVEY NAA HI KUCH ASSARA JIO....
NAAM DHAYAE MAHA SUKH PAYA.
*
SATNAM SRI WAHEGURU JEE
SATNAM SRI WAHEGURU JEE
*
Sri Waheguru Jee sabko bhala changa rakhi
sabko sukh-shanti baksheesh karna
sabko param sukh dena
NaaZ ka har qadam par saath dena.
SATNAM SRI WAHEGURU JEE
WAHEGURU
WAHEGURU
WAHEGURU
TU MERA BANDHAP, TU MERA BHRATA,
TU MERA RAKHA SABNI THAYEEN...
TU MERI OTE TU HAI MERA MANA,
SAB TERA KHEL AKHARA JIO..
SAB KICH KITA TERA HOVEY NAA HI KUCH ASSARA JIO....
NAAM DHAYAE MAHA SUKH PAYA.
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SATNAM SRI WAHEGURU JEE
SATNAM SRI WAHEGURU JEE
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Sri Waheguru Jee sabko bhala changa rakhi
sabko sukh-shanti baksheesh karna
sabko param sukh dena
NaaZ ka har qadam par saath dena.
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