Sunday, April 15, 2012

हम

१. माँ की मृत्युं पर उसकी बातें, एक तरह की दवा थी, जो सीधे दिल में उतर जाती थी. 

२. सेक्स और धन की जंजीर से जकड़ी लड़कियां एक तरह की साइड इफैक्ट वाली दवा हैं, जिस पर एक चेतावनी लिखी होती है, इसका प्रयोग सेहत के लिए हानिकारक हैं. 

३. जब हाथ थामकर हम अपने जीवन साथी के साथ कतार में खड़े रहते हैं, वोह कतार हमको बड़ी या भोझल नहीं लगाती. 

४. हम कोई पिक्चर नहीं देख रहे होते बल्कि एक दूसरे का हाथ थामकर एक एहसास को महसूस कर रहे होते हैं. 

५. पहला चुम्मन लेते समय होंठ थरथरा क्यों जाते हैं. 

६. पता नहीं पहली मिलन की रात के समय होल में गोल करते वक़्त इतना जल्दी क्यों हो जाता हैं. 

७. कोई मेहमान आता है, तो हम बहुत अच्छा खाना बनाते हैं, टेबल भी बहुत अच्छी तरह सजाते हैं, मगर अपने परिवार के लिए ऐसा क्यों नहीं करते हैं? क्या परिवार वाले इतने खास नहीं होते? या फिर उनको खाना खिलाना केवल एक दैनिक क्रिया बनकर रह जाती हैं.  

८. घर से निकलते वक़्त जवान लड़के से कहना चाहिए "मुझे इस कार की इतनी परवाह नहीं है, जितनी मुझे तुम्हारी परवाह हैं" संभाल कर गाडी चलाना.  

९. तोहफा देते समय हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि हम तोहफा नहीं बल्कि प्यार बाँट रहे हैं और यही अनुभव तोहफा प्राप्त करते समय भी मन में होना चाहिए. 

१०. हम अपने से दूर रह रहे बच्चों पर करीबी नज़र नहीं रख पा रहे हैं, लेकिन उनको हमेशा अपने ख्यालों में रख सकते हैं.

YELLOW ROSE MAA AAPKE LIYE


Shankaraya Mangalam

Shankaraya (3) Mangalam
Shankari Manoharaya Shasvataya Mangalam

Gurudev Mangalam Sadgurudev Mangalam (2)
Gajananaya Mangalam Shadananaya
Mangalam Shankaraya...

http://shiva-sunny-raj.blogspot.in/2012/04/shankaraya-mangalam.html
***
Om Namah Shivaya
Om Namah Shivaya
Om Namah Shivaya
Shankar Ji sabki muradein poori karna
sabko man-chaha vardan dena
sabke karaj poore karna, suikh-shanti dena
maa ka hamesha har pal khayal rakhana
mujhe papon se mukt karna
Om Namah Shivaya
Om Namah Shivaya
Om Namah Shivaya

लगता है कल की ही बात हैं

लगता है कल की ही बात हैं
माँ रसोई में खीर बना रही हो
हवा में उडती सुगंध आ रही हो
मन ललचा रहा हो
न जाने कहाँ से एक झोंका आया
उड़ा ले गया सब कुछ
दे गया ढेर सारे आंसू.

लगता है कल की ही बात हैं
माँ चाय बनाकर दे रही हो
हम शाम का लुफ्त उठा रहे हो
टीवी पर अमृतसर से गुरबानी का सीधा प्रसारण चल रहा हो
न जाने कहाँ से एक झोंका आया
उड़ा ले गया सब कुछ
दे गया ढेर सारे आंसू.



बार-बार पलट कर देखता हूँ
जैसे कल की ही बात हो
आंसू को पोछकर मुस्कुराता हूँ
हवा में हाथ हिलाता हूँ
बीते लम्हों को गले लगाता हूँ
ढेर सारे आंसू को अपना बनाता हूँ.
जैसे कल की ही बात हो.

- रोमिल

जब

१. जब अजीब ख़ामोशी छाई थी. सिर्फ माँ की सुबकियाँ सुनाई दे रही थीं. वोह दिन ज़िन्दगी का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण था. 

२. जब कोई छोटा सा चूहा चमड़े के पुराने जूतों में सुखी और सुरक्षित महसूस करता हैं.

३. जब कोई बुड्डी औरत एक छड़ी के सहारे अपनी कुर्सी से खड़ी होती हैं और धीरे-धीरे हमारे पास आती हैं.

४. जब नर्स पानी के गिलास और दो छोटी गुलाबी गोलियाँ लेकर माँ के पास आती थी और मुस्कुराकर कहती थी, दवाई का समय हो गया और दोपहर में आपकी झपकी का वक़्त हो गया हैं.

५. जब आपका मोजा और जूता घर भर में घूमता रहता हैं. 

६. जब अख़बार लपेट कर दोस्त के सर पर मरते हैं.

७. जब हम अपने बच्चे को पहली बार अपने पैरों पर चलता हुआ देखते हैं.

८. जब हॉस्टल के गलियारे में दबे पाँव चलकर हम दोस्त के कमरे तक पहुँचाते हैं, और दरवाज़े पर कान लगाकर बात सुनने की कोशिश करते हैं.

९. जब सर्दी में गर्म पानी में नहाकर, गर्म बिस्तर पर सो जाते हैं.

१०. जब हम पहली बार एक-दूसरे की रजामंदी से एक-दूसरे को प्यार करते हैं. मिलन का आनंद लेते हैं.

११. जब हम किसी को देखकर अपनी कार की खिड़की का काँच नीचे कर लेते हैं.

१२. जब हम अपने पालतू जानवर को माँ बनते हुए देखते हैं. प्रसव के समय उसकी मदद करते हैं, उसको सहलाते हैं, उससे बातचीत करते हैं. किसी बंद झिल्ली में फसे बच्चे को देखते हैं, पालतू जानवर को वोह झिल्ली साफ़ करते देखते हैं, गन्दा और चिपचिपा बच्चा निकलते देखते हैं. किस तरह माँ बनी पालतू जानवर अपने बच्चे को चाटकर साफ़ करती हैं. यह सबसे संतोषदायक अनुभव होता हैं.

अपने परिवारवालों और जीवनसाथी के परिवारवालों के बीच

अपने परिवारवालों और जीवनसाथी के परिवारवालों के बीच कभी भी ऐसी तुलनाएं न करें, जो आपस में विरोधाभासी या नकारात्मकता से भरी हों.

कभी भी अपने परिवारवालों के सामने

कभी भी अपने परिवारवालों के सामने, अपने जीवनसाथी के परिवारवालों की आलोचना न करें.