Friday, February 3, 2012

प्रभु ने भी माँ का सदा किया गुणगान...

प्रभु ने भी माँ का सदा किया गुणगान
कभी कृष्ण तो कभी राम बनकर, पुत्र बना भगवान.


प्रभु ने भी माँ का सदा किया गुणगान... 

उसकी ममता में आंगन-आंगन खेला
कभी माखनचोर तो कभी ठुमक - ठुमक चलत भगवान.

प्रभु ने भी माँ का सदा किया गुणगान...

माँ के हाथों से भोजन किया, अमृतजल पिया 
कभी मुख में सौरमंडल दिखाए भगवान. 

प्रभु ने भी माँ का सदा किया गुणगान...

संग - संग, खेल खेले, पीछे- पीछे दौड़ाए 
कभी आशीष पाए, कभी चरण कमल दबाये भगवान

रोमिल प्रभु ने भी माँ का सदा किया गुणगान...

Thursday, February 2, 2012

माँ जब याद तुम्हारी आती है...

माँ जब याद तुम्हारी आती है, आँखों से नीर बह जाती है
व्याकुल मन तुझे पुकारता है, चारों ओर उदासी छा जाती है.
माँ जब याद तुम्हारी आती है...

बैठा रह जाता हूँ चौखट पे, सारी रैन बीत जाती है.
सारी सुधि बुद्धि पल भर में खो हो जाती है.
माँ जब याद तुम्हारी आती है...
करुणा से भरे शब्द मुख से निकलते है
आँखें मंदिर की ओर खीची चली जाती है
माँ जब याद तुम्हारी आती है...

फूलमाला से लिपटी जब तस्वीर तुम्हारी देखता हूँ
आत्मा से एक चीख-पुकार निकल आती है.
माँ जब याद तुम्हारी आती है...

माँ जब याद तुम्हारी आती है, आँखों से नीर बह जाती है
व्याकुल मन तुझे पुकारता है, चारों ओर उदासी छा जाती है.
माँ जब याद तुम्हारी आती है... रोमिल...

मेरे दाता के दरबार में, सब लोगों का खाता. जो कोई जैसी करनी करना, वैसा ही फल पाता.

मेरे दाता के दरबार में, सब लोगों का खाता
जो कोई जैसी करनी करना, वैसा ही फल पाता.
मेरे दाता के दरबार में, सब लोगों का खाता - ४
क्या साधू, क्या संत, गृहस्थी, क्या राजा, क्या रानी - २
प्रभु की पुस्तक में लिखी है, सबकी करम कहानी.
अंतर्यामी अन्दर बैठा सबका हिसाब लगता.

मेरे दाता के दरबार में, सब लोगों का खाता
जो कोई जैसी करनी करना, वैसा ही फल पाता.

बड़े - बड़े कानून का प्रभु के, बड़ी - बड़ी मर्यादा - २
किसी को कौड़ी कम नहीं मिलती, मिले न पाए ज्यादा.
इसलिये यह दुनिया का, जगतपति कहलाता.

मेरे दाता के दरबार में, सब लोगों का खाता
जो कोई जैसी करनी करना, वैसा ही फल पाता.

चले न उसके आगे रिशिवत, चले नहीं चालाकी - २
उसकी लेन-देन की बन्दे, रीति बड़ी है बाँकी.
समझदार तो चुप है रहता, मुरख शोर मचाता.

मेरे दाता के दरबार में, सब लोगों का खाता
जो कोई जैसी करनी करना, वैसा ही फल पाता.
उजले करनी कर ले बन्दे, करम न करियो काला - २
लाख आँख से देख रहा है, तुझे देखने वाला.
उसकी तेज नज़र से बन्दे, कोई नहीं बच पाता.
मेरे दाता के दरबार में, सब लोगों का खाता
जो कोई जैसी करनी करना, वैसा ही फल पाता.
***
हे परम पिता सबका परिवार सुखी रहे ऐसा वरदान देना
सबके दुःख दूर करना,
सबकी बुद्धि का विकास करना
माँ का हर पल, हमेशा ख्याल रखना
मेरी गुनाह को क्षमा करना.

Wednesday, February 1, 2012

MAA IS LIKE AN ANGEL

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तुम करो प्रभु से प्यार, अमृत बरसेगा.

तुम करो प्रभु से प्यार, अमृत बरसेगा - ४
बरसेगा भाई बरसेगा - ६
तुम्हें होगा प्रभु का दीदार, अमृत बरसेगा.
तुम करो प्रभु से प्यार, अमृत बरसेगा - ४

दया-धर्म से प्रीत कर लो,
भव-सागर से पार उतर लो.
तेरा जो जाये बेडा पार,
अमृत बरसेगा.
तुम करो प्रभु से प्यार, अमृत बरसेगा - ४

सच्चे ज्ञान का पहला गहना,
कड़वा बोल कभी न कहना.
तुम करो आत्म उद्वार,
अमृत बरसेगा.
तुम करो प्रभु से प्यार, अमृत बरसेगा - ४
प्रभु नाम का अमृत प्याला,
पीले बनकर तू मतवाला,
यह मिले न बारम्बार,
अमृत बरसेगा.
तुम करो प्रभु से प्यार, अमृत बरसेगा - ४

तुम करो प्रभु से प्यार, अमृत बरसेगा.
बरसेगा नित बरसेगा - २
तुम करो प्रभु से प्यार, अमृत बरसेगा.

***
हे जगदीश्वर! सबको सुख-समृद्धि-ज्ञान देना
सबको असत्य को त्याग कर सत्य को धारण करे ऐसी शक्ति देना
माँ का हर पल ख्याल रखना 
माँ के दुखों को दूर करना
मेरी गलतियों को क्षमा करना.

"रोमिल" बचपन के दिन याद आते हैं...

"रोमिल" बचपन के दिन याद आते हैं...
जब माँ, अपने हाथों से उपले थपा करती थी...
धूप में उसे सुखाती थी...
~~~~~
अक्सर खाने के समय
मेरा दोस्तों के साथ खेलने चले जाना
माँ, का फिर पीछे
डंडी लेकर दौड़ते हुए आना
वोह जोर से चिल्ला कर कहना...
"कमीने, मरजाने" रोटी तो खा ले, फिर खेलते-मरते रहना"
"रोमिल" बचपन के दिन याद आते हैं...
~~~~~
सूरज रोज़ सुबह हँसते-खेलते हमारे घर आ जाता था
मैं चारपाई पर चादर ओढ़कर सोया-लेटा रहता था
माँ का सर पर हाथ फेरकर मुझे उठाना
वोह प्यार से कहना...
"सूरज-घर आया हैं
सूरज-घर आया हैं
देखो कितनी रोशनी
देखो कितनी खुशियाँ लाया हैं
सूरज-घर आया हैं
सूरज-घर आया हैं"
"रोमिल" बचपन के दिन याद आते हैं...
~~~~~
रात को जब आँगन में चूल्हा जला करता था
हम सब ज़मीन पर चूल्हा घेरकर रोटी खाते थे
माँ का प्यार से नंगे-नंगे पैरों में
गरम चिमटा मुझे लगाना
और डाँटते हुए कहना...
"दिन भर नंगे-नंगे पाओं घूमते रहते हो
इन पैरों को जला दूंगी"
"रोमिल" बचपन के दिन याद आते हैं...

#रोमिल

पिछले तीस सालों से तुझसे प्यार पाया था

पिछले तीस सालों से तुझसे प्यार पाया था
मैंने अपने जीवन में अदभूत खुशियों का संसार पाया था.

सीखा था तुझसे दुःख के पहाड़ पर, सुख के कमल खिलाना
मैंने ज़िन्दगी की डोर का अजब सा झूला पाया था.

पल-पल आँखों में सजते स्वपन प्यारे थे
मैंने आंधियों में भी दीपक जलने का हुनर पाया था.

तुझ पर फूल चढ़ाएँ माँ या खुद निछावर हो जाएँ    
मैंने तुझसे जीवन का अनमोल खज़ाना पाया था.

पिछले तीस सालों से माँ तुझसे प्यार पाया था.
रोमिल ने अपने जीवन में अदभूत खुशियों का संसार पाया था.