चाँद... ज़िन्दगी के ६० साल पता ही नहीं चले कब बीत गए... तुम्हारे साथ... शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया
---------
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया
हैं तेरा
तूने जो साथ मेरा दिया...
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया
हैं तेरा
*
ज़िन्दगी का था बड़ा लम्बा सफ़र
रुके थके से लगते थे कदम
तूने जो हाथ मेरा थाम लिया
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया
हैं तेरा
*
खवाब थे सब मेरे जुदा जुदा
आँखों से नींदे थी धुआ धुआ
तूने सपने मेरे बुन दिए, खवाब मेरे पूरे कर दिए
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया
हैं तेरा
*
कैसे कहू कितना प्यार हैं तुमसे...
हर सुबह, हर शाम हैं तुमसे
तूने बेरंग ज़िन्दगी में रंग भर दिया
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया
हैं तेरा
*
गुज़ारा न होगा अब एक सांस का तुम बिन
रह न पायूँगा सनम तुम बिन
तूने जीवन अपना मेरे नाम कर दिया
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया
हैं तेरा
तूने जो साथ मेरा दिया...
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया
हैं तेरा
[copyright reserved]
ALL POSTS DEDICATED TO MY RAB NAAZ... ONLY NAAZ... NAAZ KE QAATIL KO DEKHA NAHI KABHI ROMIL, LEKIN DIL YEH KEHTA HAIN KI WOH RAB HAIN... WOH RAB HAIN...WRITTEN BY ROMIL. COPYRIGHT RESERVED TO HTTP://WWW.TERELIYE-SUNNY-RAJ.BLOGSPOT.COM AND WRITER!
Showing posts with label FEELINGS...SIRF TERE LIYE..... Show all posts
Showing posts with label FEELINGS...SIRF TERE LIYE..... Show all posts
Thursday, November 25, 2010
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया
कम्पलीट मी
कम्पलीट मी
कम्पलीट मी
कम्पलीट मी
कम्पलीट मी
कम्पलीट मी
कम्पलीट मी
कम्पलीट मी
कम्पलीट मी
यह तेरा जिस्म हैं की कॉफी हैं...
गाढ़ी सी
मीठी सी
कड़क सी
कॉफी हैं...
यह तेरा जिस्म हैं की कॉफी हैं...
*
रात भर उबली हैं
रात भर पी हैं
थोड़ी सी कडवी हैं
यह तेरा जिस्म हैं की कॉफी हैं...
*
सर्द रातों में गर्मी सी हैं
दिल की जलती आग में ठंडक सी हैं...
धीरे धीरे होंठो से पी हैं...
यह तेरा जिस्म हैं की कॉफी हैं...
कम्पलीट मी
कम्पलीट मी...
कम्पलीट मी
कम्पलीट मी
कम्पलीट मी
कम्पलीट मी
कम्पलीट मी
कम्पलीट मी
कम्पलीट मी
यह तेरा जिस्म हैं की कॉफी हैं...
गाढ़ी सी
मीठी सी
कड़क सी
कॉफी हैं...
यह तेरा जिस्म हैं की कॉफी हैं...
*
रात भर उबली हैं
रात भर पी हैं
थोड़ी सी कडवी हैं
यह तेरा जिस्म हैं की कॉफी हैं...
*
सर्द रातों में गर्मी सी हैं
दिल की जलती आग में ठंडक सी हैं...
धीरे धीरे होंठो से पी हैं...
यह तेरा जिस्म हैं की कॉफी हैं...
कम्पलीट मी
कम्पलीट मी...
#रोमिल अरोरा
Wednesday, November 24, 2010
यह सुबह फिर आएगी...
यह सुबह फिर आएगी...
देर तक मुझको हँसाएगी...
यह सुबह फिर आएगी...
*
प्यार से तुमको बिस्तर से उठाना
तकिये से तेरा चहरे को छुपाना
हल्का- हल्का
तेरे पेट पररररररररर
गुदगुदी करना
मचलना
उछालना
जिद्द करना
वोह तुझको बाहों में उठा नहाने ले जाना...
प्यार से तुझको नहलाना...
वोह तैयार करना तुझे
वोह सजाना....
घीली सी यादें वोह देर तक मुझको फिर हँसाएगी...
ठण्ड की ठिठुरन में स्वेटर से लाएगी...
यह सुबह फिर आएगी...
*
अपने हाथो से
प्यार से
तुझको दूध पिलाना...
रास्ते भर बातें करते-करते तुझको पराठे खिलाना...
हाथ पकड़ना हमारा
साथ चलना हमारा
तुझको प्यार से बस में बैठाना
वोह चीनी सी
वोह प्यारी सी
तेरा बाय बाय
मम्मी पापा कहना...
नीले अम्बर पर तारों की तरह फिर चमकेगी
धागे से खुशियूं को सीलेगी
यह सुबह फिर आएगी...
यह सुबह फिर आएगी...
[COPYRIGHT RESERVED]
देर तक मुझको हँसाएगी...
यह सुबह फिर आएगी...
*
प्यार से तुमको बिस्तर से उठाना
तकिये से तेरा चहरे को छुपाना
हल्का- हल्का
तेरे पेट पररररररररर
गुदगुदी करना
मचलना
उछालना
जिद्द करना
वोह तुझको बाहों में उठा नहाने ले जाना...
प्यार से तुझको नहलाना...
वोह तैयार करना तुझे
वोह सजाना....
घीली सी यादें वोह देर तक मुझको फिर हँसाएगी...
ठण्ड की ठिठुरन में स्वेटर से लाएगी...
यह सुबह फिर आएगी...
*
अपने हाथो से
प्यार से
तुझको दूध पिलाना...
रास्ते भर बातें करते-करते तुझको पराठे खिलाना...
हाथ पकड़ना हमारा
साथ चलना हमारा
तुझको प्यार से बस में बैठाना
वोह चीनी सी
वोह प्यारी सी
तेरा बाय बाय
मम्मी पापा कहना...
नीले अम्बर पर तारों की तरह फिर चमकेगी
धागे से खुशियूं को सीलेगी
यह सुबह फिर आएगी...
यह सुबह फिर आएगी...
[COPYRIGHT RESERVED]
Tuesday, November 23, 2010
कभी जो...
कभी जो
मैं खफा हूँ
तो मेरा पास आकर बैठो तुम...
मेरे माथे को चूमो तुम...
मुझको अपनी बाहों में भर लो तुम...
और कान में गुनगुनाते हुए
कहो
सोना आई लव यू...
आई लव यू...
*
कभी जो
हमारे बीच हो जाये लड़ाई
न कभी बात हमारे - तुम्हारे बीच बन पाई
तो मेरी हथेली को थम लो तुम
मेरी नोज़ पर किस करो तुम..
और
आँखों में देखते हुए कहो
गुस्सा बेबी आई लव यू...
आई लव यू...
*
कभी जो
न सुबह बिस्तर से उठू मैं
अंगड़ाई लेकर - लेकर तंग तुमको करू मैं
तो मेरा पास आओ तुम...
मेरे कंधे, मेरी बाहों को चूमो तुम...
और
पैर में गुदगुदाते हुए कहो
स्वीट हेअर्त उठा जाओ न तुम...
आई लव यू...
*
कभी जो
बरसात में भीग कर घर आऊ मैं
तुमको भी अपने संग भिगोऊ मैं
तो मेरा पास आओ तुम...
मेरे होंठो को चूमो तुम...
मेरे घीले बालों को तोवेल से रगडो हुए कहो
समूची माय डार्लिंग .... आई लव यू...
आई लव यू...
*
कभी जो
तुमको सोने न दू मैं
रात भर तंग करू जो मैं
तो मेरी बाहों में आओ तुम... मेरे कानो को काटो तुम,
मेरे जिस्म पर अपने नाखुनो के निशान लगाओ तुम
और प्यार से कहो
रात भर कहो
सुगर बॉय आई लव यू...
आई लव यू...[COPYRIGHT RESERVED]
मैं खफा हूँ
तो मेरा पास आकर बैठो तुम...
मेरे माथे को चूमो तुम...
मुझको अपनी बाहों में भर लो तुम...
और कान में गुनगुनाते हुए
कहो
सोना आई लव यू...
आई लव यू...
*
कभी जो
हमारे बीच हो जाये लड़ाई
न कभी बात हमारे - तुम्हारे बीच बन पाई
तो मेरी हथेली को थम लो तुम
मेरी नोज़ पर किस करो तुम..
और
आँखों में देखते हुए कहो
गुस्सा बेबी आई लव यू...
आई लव यू...
*
कभी जो
न सुबह बिस्तर से उठू मैं
अंगड़ाई लेकर - लेकर तंग तुमको करू मैं
तो मेरा पास आओ तुम...
मेरे कंधे, मेरी बाहों को चूमो तुम...
और
पैर में गुदगुदाते हुए कहो
स्वीट हेअर्त उठा जाओ न तुम...
आई लव यू...
*
कभी जो
बरसात में भीग कर घर आऊ मैं
तुमको भी अपने संग भिगोऊ मैं
तो मेरा पास आओ तुम...
मेरे होंठो को चूमो तुम...
मेरे घीले बालों को तोवेल से रगडो हुए कहो
समूची माय डार्लिंग .... आई लव यू...
आई लव यू...
*
कभी जो
तुमको सोने न दू मैं
रात भर तंग करू जो मैं
तो मेरी बाहों में आओ तुम... मेरे कानो को काटो तुम,
मेरे जिस्म पर अपने नाखुनो के निशान लगाओ तुम
और प्यार से कहो
रात भर कहो
सुगर बॉय आई लव यू...
आई लव यू...[COPYRIGHT RESERVED]
Tuesday, November 16, 2010
पूछो न यारों किसी क़दर वोह रात बिताई थी...
सबसे नज़र बचा कर वोह मुझसे मिलाने आई थी
पूछो न यारों किसी क़दर वोह रात बिताई थी...
*
कुछ तो सर्दी का आलम था
कुछ जिस्म भी अपना गरम था
दूर-दूर खड़े थे दोनों
आँखों से शमा जलाई थी...
पूछो न यारों किसी क़दर वोह रात बिताई थी...
*
मेरी गोद में लेट कर
बाज़ुओं में मेरी उसने मुहब्बत की नयी दुनिया सजाई थी
पूछो न यारों किसी क़दर वोह रात बिताई थी...
*
चूडियो की खनखनात
पायल की झंकार
चाँद ने छत पर सफ़ेद चांदनी बिछाई थी
पूछो न यारों किसी क़दर वोह रात बिताई थी...
*
उसके दुपट्टे का मेरे चेहरे पर उड़ना
होंठो का बेबसी सा तड़पना
खुदा ने भी कैसे शर्म की निगाह बनायी थी...
पूछो न यारों किसी क़दर वोह रात बिताई थी...
[copyright reserved]
Subscribe to:
Posts (Atom)