उम्र के आखिरी पलों में जब हम-तुम और सिर्फ यादें होंगी...
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यादों का घर कितना सुहाना लगता है
वोह पेड़ बूढा है फिर भी घना रहता है...
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वक़्त के पाँव कब रुकते है
चहरे बदल जाते है
तस्वीरों से रिश्ता जुडा रहता है
वोह पेड़ बूढा है फिर भी घना रहता है...
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आँख तो भर आती है पानी से
होंठो पर कमल सा खीला रहता है
वोह पेड़ बूढा है फिर भी घना रहता है...
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गाँठ बंधी जो रिश्तों की
टूटे न टूटी
जीवन का पहिया इस पर ही चलता रहता है
वोह पेड़ बूढा है फिर भी घना रहता है...
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वोह मेरा ख्याल रखती है
मैं उसका ख्याल रखता हूँ
बस यूं ही अपना इश्क चलते रहता है
वोह पेड़ बूढा है फिर भी घना रहता है...
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जिस्म का साथ छूता
बुढ़ापे का हाथ थामा
दिल से जुडा हर फ़साना रहता है...
वोह पेड़ बूढा है फिर भी घना रहता है...
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