Friday, December 17, 2010

यकीन

दिल कहता हैं यह वही हैं रोमिल
फिर भी यकीन नहीं होता हैं 
कोइए कैसे मौत के बाद 
वापस आ जाता हैं...
*
चलो रोमिल एक पल के लिए मान लेते हैं यह वही हैं
फिर भी यकीन नहीं होता हैं
कोइए कैसे तेरे रोने के बाद
तेरे आंसू पोछने नहीं आता हैं...
शायद हर अपना ऐसा होता है... 
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Thursday, December 16, 2010

दौर चल रहा है...

ज़िन्दगी का सफ़र उदास चल रहा है
ख़त नहीं आते उसके
न जाने कैसा बेरुकी का दौर चल रहा है...
*
काश वोह ख़त में एक गुलाब रख देता
अपना प्यारा लब साथ रख देता
खवाइश के कत्ल का दौर चल रहा है...
*
काश खुदा मुझे सजा सुना दे मोहब्बत की
मुझे रूबरू कर दे मेरे कातिल के
बस यही आज कल दुआ का दौर चल रहा  है...
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Sab Kich Tera, Sab Kich Tera, Mann Tan Tera, Dhan Bhi Tera

Sab Kich Tera

Sab Kich Tera

Mann Tan Tera 

Dhan Bhi Tera 

Tu Thakur Swami Parab Mera 

SATNAM SRI WAHEGURU JEE

SRI WAHEGURU JEE 

SRI WAHEGURU JEE

*** 

SRI WAHEGURU JEE apni mehar sab par rakhana, 

sabka muqadar sawarana Prabhu Jee 

sabke bhandhar bharana 

Maa, NaaZ, GuNn, PitaJi, Tuffy ko apna sneh-prem-dulaar dena 

SATNAM SRI WAHEGURU JEE

जरुर तेरी नज़रों में गिरफ्तार होगा

जरुर तेरी नज़रों में गिरफ्तार होगा
तभी तोह तेरी गलियों में घुमाता फिर रहा होगा...
*
क्यों पूछते हो उससे उसका ठिकाना - 2
उसके घर के पास ही यही-कही पड़ा होगा...
*
कभी जो तरस खाओ तोह पूछ लेना उससे उसका हाल भी
जो शख्स तेरे दो शब्द सुनने के लिए तरस रहा होगा...
*
खुदा गवाह है उसकी मोहब्बत का "रोमिल"
जो शख्स तेरी निगाह में बेवफा होगा...
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Wednesday, December 15, 2010

वोह न अब आने वाला...

बीता हुआ साल फिर न आने वाला
मोहब्बतों वाला साल फिर न आने वाला
मैं करता रहूँगा उसका इंतज़ार उमरभर 
जो गया था मुझे छोड़ कर वक़्त वोह न अब आने वाला...
*
खुशियूं के नए फ़साने मिलते रहेंगे
लोग, हसीन सुहाने मिलते रहेंगे
जिसे याद कर आ जाती थी रूह में रवानी
दिलकश-दिलरुबा वोह न अब आने वाला...
*
पढ़ते-पढ़ते होठों पर मुस्कान आ जाती थी
कभी-कभी नज़रो में नीर बह जाती थी
जिसे सो जाते थे सीने से लगा कर 
ख़त वोह न अब आने वाला...
*
जब किसी से बात करने के लिए जागते थे
जब किसी की यादों में हम सोते थे
दुआ जिसके लिए रब से हर पल करते थे
वोह अब न आने वाला...
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श्री गुरु नानक देव जी

श्री गुरु नानक देव जी 
तेरी आमद की बदौलत, जग में रौशनाई हुई l 

छट गयी काली छटा, कुल कूड़ की छाई हुई l 
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तू वोह पैगम्बर था, मानववाद था जिसका ईमां l 

तेरी नज़रों में न था हिन्दू या कोई मुस्लिमां l 
जाबरों को ज़ेर कीया, सच की आवाज़ ने l 
'अर्शी' आलम को निवाया पीर की परवाज़ ने ल

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सतनाम श्री वाहेगुरु जी
श्री वाहेगुरु जी सब पर मेहर करना... 
सबको सुख-शांति देना... 
नाज़ का ख्याल रखना...
सबको बस तेरा ही आसरा है...
सतनाम श्री वाहेगुरु जी
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अब यह तबियत हैं कि सुधारने का नाम नहीं लेती

अब यह तबियत हैं कि सुधारने का नाम नहीं लेती
तू इतने दिल के करीब रहती हैं
फिर भी करीब नहीं रहती...
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हम चिरागों को जलाते रहते हैं, भुजाते रहते हैं रात भर 
इतनी लम्बी रात हैं 
कि सुबह साथ नहीं रहती...
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इस क़दर आसान न होगा तेरे साथ दोस्ती का सफ़र
तू मेरी दोस्त हैं
फिर भी अपने बीच दोस्ती नहीं रहती...
*
बस कुछ दिन और बिताऊ फिर चला जायूँगा इस शहर से
मोहब्बत तोह हैं तुझसे 
मगर इबादत साथ नहीं रहती...
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