समय
एक समय मैं गुन से मिलने के लिए इतना व्याकुल था जितना एक पिल्ला दूध के लिए होता है. उसकी इतनी देख-रेख करना चाहता था जितना कोई माँ, कार की सीट पर बैठे अपने बच्चे के साथ करती है. उसे उस तरह प्यार से सुलाना चाहता था जिस तरह कोइए माँ-पिता अपने बच्चों को माथे पर चूम कर शुभ रात्रि कहते हुए सुलाते है.
और एक समय मैं उससे इतनी नफरत करता था कि किसी दुकान का नाम उसके नाम से मिलाता हो तो मैं उस दुकान के मालिक से उस नाम को हटाने की गुज़ारिश करता था.