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Wednesday, June 13, 2012

baadal garaje, bijli chamke, tadap-tadap ke reh jaye

baadal garaje, bijli chamke, tadap-tadap ke reh jaye
neer bahaye aakhiyaan, yeh dooriyan na seh paye

mohabbat ka mehal bana kar tune hi ise tod diya
teri is nadani par kabhi hum muskaaye, kabhi hum gussaye

jab - jab sawan mulaqaton ki boondein barsaye
hum ghar mein baithe armano ko jalaye

aur

maa ke bina yeh mann kahi na lage
kaise hum isko samjhaye,
kaise hum khawab sajaye.

- romil

Saturday, June 9, 2012

अपने साए को भी खुद से वाकिफ़ नहीं होने देता

अपने साए को भी खुद से वाकिफ़ नहीं होने देता
जहाँ जाता हूँ अकेला ही चला जाता हूँ,
कभी खुद को किसी के सहारे होने नहीं देता।

मुझे परवाह नहीं है किसी के होने या न होने से
मगर मायूस हो जाता है वोह बच्चा
जब माँ के लिए पूजा में कोई साथ नहीं होता।

जितना इल्जाम लगाना है लगा लो तुम मुझ पर
"कि तुम रात भर दूसरी लड़कियों से बात करते रहते हो"
अब उसकी ऐसी बातों पर अफ़सोस नहीं होता।

और 

माँ क्या होती हैं यह जाना है मैंने खोकर
खुदा न जाने क्यों ठोकर से पहले आँखें नहीं खोल देता।

- रोमिल

Sunday, June 3, 2012

woh aayega jarur aayega

woh aayega jarur aayega
be-naqaab aayega
mohabbat ka zamana fir aayega

viran-e-ghar fir roshan ho jayega
woh gulab ki tarah khilkhilata aayega

maine khud aaj kal usse baat karni band kar di hai
socha na tha aisa bhi ek din aayega

aur

maa ko khud apne haaton se di hai agni
isse bada jeevan mein kya dukh aayega

- romil 
 

khushiyon ke diyon se ghar ko jagmagaya kijiye

yunh ghar mein shaam hote hi matam ka andhera na fehlaya kijiye
khushiyon ke diyon se ghar ko jagmagaya kijiye 

kya pata kab Maa chali aaye milne ko
bahar ke darwaze pe sitkini na lagaya kijiye

khuda tere sitam-o-gardish se main darne wala nahi
main apni Maa jaisa hoon yeh baat samajh lijiye

umar guzari hai, umar guzar dunga Maa ke liye
pyar-kartavya-swabhimaan ki mamta mein pala-bada hoon, yakeen kijiye

aur time passsssss

itni berukhi acchi nahi
ki tere deedar ke liye ab tasveer bhi nahi

mat jaga karo raat bhar meri yaadon mein
sitamgar yeh aadat acchi bhi nahi

06th ko tumhara exam
05th ko main chala jayunga
yeh dooriyan-yeh majbooriyan acchi bhi nahi

aaj ek ladki ne mere petu par haath rakh kar bola
"bahut mote ho gaye ho"
maine kahan "meri begum sahiba ne dekh-sun liya to kaat degi tumko"
mishri si bolne wali ko samjho itna seedha bhi nahi.

hehehe

- romil.  

Saturday, June 2, 2012

hum sabko samjhaya karte hai, koi humko bhi samjhaye

hum sabko samjhaya karte hai, koi humko bhi samjhaye
ishq-e-mohabbat ke fann humko bhi sikhaye

koi raah chalte tham le mera bhi bhoj
kisi musafir se yeh naseeb humko bhi milaye

aaye mohabbat-e-suraj tu jaldi nikal aa
warna tu hi bata tere intezaar mein hum aur kitne diye jalaye

aur

apna kaam hai sirf usse mohabbat karna
baaki woh samjhaye ya uska parivar use samjhaye

aur

itna bhi pareshan na kar aaye khuda
kahin maa ki taraf mein jalta bacche se tu na jal jaye.

Friday, June 1, 2012

Kaagaz Ke Phoolon Pe Aitbaar Mat Karna

Kaagaz Ke Phoolon Pe Aitbaar Mat Karna
Khushboo Se Parakhana Rangon Se Nahi Dekhana 

Rait Se Khelte Hue Mere Pair Tune Dekhe Hai Hamesha
Kabhi Fursat Ho To Jalti Rait Se Hue Chhale Bhi Dekhana

Mohabbat Bhi Insaan Ko Suraj Bana Deta Hai
Kabhi Shaam Dhale Suraj Ko Dhalte Hue Bhi Dekhana

Bichao Jiske Liye Phoolon Ki Chadarein
Kabhi Uske Pairon Ki Khaak Ban Ke Bhi Dekhana

aur

Jannat Pane Ki Aarzoo Gar Man Mein Ho
To Maa Ke Pairon Mein Do Ghadi Bethana. 

- Romil

Wednesday, May 30, 2012

aansooyon ke ghut-ghut peene se

aansooyon ke ghut-ghut peene se
ghutan si ho rahi hai mujhe jeene se

lambi hai zindagi dost bhi saath nahi
kitna akelapan lagta hai coffee table par tanha bethkar coffee peene se

badal ghir aaye hai kahin chirag na bhuj jaye
dar lagta hai mujhe savan ke mahine se

yeh kaisi zanjeeren hai jo bandhati bhi nahi
door hoti ja rahi hai uski baahein mere seene se

aur

mujjhe rota dekh aap bahut khush hoti hogi na
yeh baat kis tarah puuchhuun main maa se.

- romil 

Tuesday, May 29, 2012

उम्र भर बूँद - बूँद को तरसे आँखों से हमारे मुहब्बत के मोती बरसे

उम्र भर बूँद - बूँद को तरसे
आँखों से हमारे मुहब्बत के मोती बरसे
अच्छा हुआ हमें जो ठोकर लगी
कम से कम वोह तो संभल गए गिरने से।

और 

ता-उम्र भी उसकी सेवा करूं तो कम हैं
माँ मिलती है नसीबों से
अपनी चमड़ी का जूता बनाकर उसको पहनाऊं 
इतना चाहू मैं खुद से।

और 

आज फिर कह रहा हूँ अपनी रूह से 
सुन ले उसको भूला दे 
कहीं दम न निकल जाये तेरी नादानी से।

- रोमिल

Monday, May 28, 2012

हम अंजान वोह अंजान दिन - रात बातें किया करते है

हम अंजान वोह अंजान
दिन - रात बातें किया करते है
इश्क तो एक - दूसरे से करते हैं
फिर भी जुबान-ए-इज़हार से डरते हैं।

और 

क्या पता माँ को यह खबर भी है कि नहीं 
हम खवाबों-ख्यालों में उनको ही पुकारा करते हैं
क्या पता कब पाप कटे क्या पता कब वोह दिन आये
हम माँ से मिलने के एक-एक दिन गिना करते हैं।

और 

चंडीगढ़ में कहाँ रहती हो पता तो बता दो
सुनो !!!
चंडीगढ़ में कहाँ रहती हो पता तो बता दो 
हम खुद तुमसे मिलने के लिए तरफ़ा करते हैं।

और 

ए खुदा जी चाहता है उनको धर दूं दो-चार लाफ़ा जोर से 
जब वोह सिर्फ दोस्त समझकर हमसे गुफ्तगू करते हैं
उम्र और उनका रिश्ते की यह कैसी ज़जीर हैं
जिसमे बंधा देखकर हम उनको न जीते है न मरा करते  हैं।  
 
- रोमिल

Sunday, May 27, 2012

वोह चाहते है कि कोई उसने अहल-ए-वफ़ा न करें

वोह चाहते है कि कोई उसने अहल-ए-वफ़ा न करें
खुदा सामने भी हो और इबादत न करें 
बस इतनी सी राहत मुझे मिली है उससे
मुहब्बत तो करें मगर इज़हार की जुर्रत न करे।

और

लब कह रहे है उठ और चूम ले माँ के पैरों को
शायद तेरे गुनाह-ए-अज़ीम इस बार माँ माफ़ करें
दिल चाहता है फिर माँ मेरे साथ दिन-रात हो
कुदरत शायद कोई करिश्मा करें।

और

वोह दे रहा है मुझे कुछ इस तरह फरेब
साथ मेरे है और बातें किसी गैर की करें
शाम-ए -विसाल भी और यह तगाफुल, यह बेरुखी
खुदा किसी को इस तरह मुहब्बत में तबाह न करें।

- रोमिल 



Friday, May 25, 2012

दिखा नहीं सूरज मगर चारों तरफ उजेला था

दिखा नहीं सूरज मगर चारों तरफ उजेला था
मुहब्बत-ए-खवाब का मैंने कैसा आसमान ओढा था
मैं लौट आया हूँ अंधेरों के सहारे  
वोह साथ नहीं थी मेरे जब घनघोर अँधेरा था
और अब उससे करता हूँ सिर्फ अश्लीलता भरी बातें
मेरी मुहब्बत को जिसने दौलत के तराजू में तौला था।

और

वही पीपल का पेड़ वही चबूतरा 
मगर दिखा नहीं माँ का डाला हुआ झूला था
करीब खेल रहा था माँ-बेटे का जोड़ा - 2
मैं पार्क के किनारे जब उदास बैठा था।

और 

उसके इतने करीब से गुज़रा मगर खबर नहीं हुई
मेरे सिवा उसकी ज़िन्दगी में कोई दूसरा भी था।

- रोमिल 

Thursday, May 24, 2012

मेरी बातों के भँवर में फँसकर तो सब खीचे चले आते हैं

मेरी बातों के भँवर में फँसकर तो सब खीचे चले आते हैं
कहाँ है वोह लोग जो रूह की तड़प में मरे चले आते है
और मेरे आसपास रहता है हमेशा राजकुमारियों का जमघट
फिर भी न जाने क्यों यह कदम उस बंजारन के दर पर खीचे चले जाते हैं।

और

मेरी माँ ने उस उम्र में मेरा साथ छोड़ा है
जिस उम्र में बच्चे माँ को खुशियाँ नसीब करवाते हैं
न जाने यह जीस्त कब मिट्टी में मिलेगी
माँ के पास जाने के लिए यह मन के पंछी फड़फड़ाते हैं।      

और

मेरे इज़हार-ए-मुहब्बत पर इतना यकीन न करो
यह वोह दीये है जो नदी में छोड़े तो जाते है मगर जल्दी ही डूब जाते है।

- रोमिल

 

Wednesday, May 23, 2012

चलो खवाबों में ही हमको अपना बना लो।

चलो मेरे आंसू पर मिट्टी डालो 
थोडा तुम भी मुस्कुरा लो
माना कभी नहीं हम होंगे रूबरू
चलो खवाबों में ही हमको अपना बना लो।

और 

अकेलेपन से खौफ आता है मुझको
माँ, आओ कुछ पल मेरे साथ बीता लो
बरसों से जागी हुई लगती है आँखें
माँ, आओ मुझे अपनी गोद में सुला लो।

और

चलो माना की तुमको मुझसे मुहब्बत है
यह भी तुम्हारा झूठ, सच माना
चलो माना की तुमको मुझसे मुहब्बत है
एक बार यह बात दुनिया-ए-जहाँ से नज़रे मिलाकर कह लो।

- रोमिल

Tuesday, May 22, 2012

हम उनके इश्कजादे वोह इश्कजादे है मेरे

मर के भी एक दूसरे को रुसवा नहीं होने देंगे     
हम उनके इश्कजादे वोह इश्कजादे है मेरे
परेशां ही परेशां घूम रहे है हम दोनों
हम उनके दीवाने, वोह दीवाने है मेरे।

और 

यूं तो साए की तरह माँ साथ रहती है मेरे
फिर भी महसूस होता है वोह दूर है मेरे
मेरा दिल-ए- सुकून-चैन न समझ पाया तू खुदा
दौलत-शौहरत-नाम नहीं माँ है दिल-ए-सुकून-चैन में मेरे।

और

वोह मेरा नाम लेकर मुझसे इज़हार-ए-मोहब्बत करें
इतने भी बड़े दीवाने नहीं है वोह मेरे।

- रोमिल

Monday, May 21, 2012

इश्क़ में जान जो लूटा दे वोह इश्क़जादे है हम

लखनऊ की गलियारों में फिरने वाले शहज़ादे हैं हम
इश्क़ में जान जो लूटा दे वोह इश्क़जादे है हम
नए सफ़र पर रवाना हो चले है
नया नाम, नई शख्सियत हैं हम।

और

खुदा तुझसे दौलत- शौहरत की आरज़ू नहीं है मेरी
बस माँ की दीद के प्यासे है हम।

और 

हिसार-ए-शौक इतना भी अच्छा नहीं है उसका
कोई बता दे उसको
हिसार-ए-शौक इतना भी अच्छा नहीं है उसका 
मनचले नहीं मुहब्बत की कद्र वाले है हम।

- रोमिल 

Sunday, May 20, 2012

मुझसे कतरा के निकल जाते हैं

मुझसे कतरा के निकल जाते हैं 
खुदा तेरे फ़रिश्ते गरीबों का घर नहीं जानते हैं

पास आकर मेरा दुःख बंटाने वाले
अभी मेरे ज़ख्मो पर मरहम लगाना नहीं जानते हैं

और 

उसको लिखकर कहा निकलती है दिल की भड़ास
जिनको आता है तमाचा जड़ने का हुनर वोह कागज़ी-शतरंज नहीं जानते हैं

और

टूटी-फूटी मिट्टी की चार-दीवारी में महकती है माँ की खुशबू
दौलत के रंग से दीवार रंगने वालें नहीं जानते हैं।

- रोमिल

Saturday, May 19, 2012

क्या रिश्ता अब किसी से मेरा

क्या रिश्ता अब किसी से मेरा
वास्ता था तो माँ बस तुझी से मेरा

चहरे पर लगाकर ख़ुशी का नकाब फिरता हूँ 
किसको सुनाऊँ हाल-ए-दिल मेरा

ज़िन्दगी ने इतना सताया है 
मौत से भी टूट चूका है उम्मीद-ए-रिश्ता मेरा

किस पर करे ऐतबार हम खुदा
हर अपना ही निकला है गद्दार मेरा 

और 

दुनिया से बस इतना ही कहना हैं 
मरने से पहले
दुनिया से बस इतना ही कहना हैं
सनम-ए-खुदा है कातिल मेरा

- रोमिल

Friday, May 18, 2012

एक अजब सी परेशानी, एक अजब सी बेक़रारी हैं,

एक अजब सी परेशानी,
एक अजब सी बेक़रारी हैं,
रात भर बैठा सोचता रहता हूँ
न जाने कैसी बीमारी हैं।

माँ के बिना ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती
फिर भी जिए जा रहा हूँ
न जाने कैसी लाचारी हैं।

सोचता हूँ तोड़ दूं इस आशियाने को 
जिसमे माँ के साथ दिन-रात गुजारी हैं
यह सिर्फ आशियाना नहीं यादों का महल है 
यह गम-ए-दिल जहाँ से भारी हैं।

और

हमको ही पाने की चाहत हैं
हमसे ही मुहब्बत हैं  
फिर न जाने यह क्यों परदे-दारी हैं।
खुदा-जाने...

- रोमिल 

Tuesday, May 15, 2012

एक दिया ही तो देता था मेरे चमन में रोशनी-ए-जान

एक दिया ही तो देता था मेरे चमन में रोशनी-ए-जान 
खुदा ने वोह भी बुझा दिया 

एक ही तो था मेरा अपना, मेरा हमसाया
खुदा ने वोह सिलसिला ही मिटा दिया

महफ़िल-ए-रंग-ओ-नूर की फिर मुझे याद आ गई
खुदा ने हर महफ़िल को मातम बना दिया

इससे बड़ी क़यामत क्या होगी मेरे लिए
खुदा ने सिर से माँ का साया ही उठा दिया 

और

सोचता हूँ जिस्म से दिल को निकालकर कीमा बना दूं
कैसे इसने उस बेवफा को मेरा खुदा बना दिया।

- रोमिल
  

Monday, May 14, 2012

जो खुदा न कर सका वोह काम माँ की यादों ने किया

जो खुदा न कर सका वोह काम माँ की यादों ने किया
रोते हुए एक बच्चे को हसा दिया

हमारा नाम लेने लगा खुदा भी
फरिश्तों ने आकर हमें सलाम किया

माँ की तस्वीर से करता रहा बातें
मदर डे पर उसने यही काम सुबह और शाम किया

श्री राम या श्रवण कुमार, ज़माना उनको हमेशा याद रखेगा
जिसने माँ-पिता पर अपना जीवन वार दिया

और 

ए नादान दिल उस शख्स से मैं कैसे मुहब्बत कर पाउँगा
जिसने मुसीबत में हमसफ़र बनकर साथ न दिया।

- रोमिल